हर लम्हां
मेरे हंसने मुस्कुराने की बजह तुम हो,
मेरी शामों की सुबह तुम हो,
बताओ तुम्हें कैसे मै,
खुद से जुदा कर दूं।
मेरे हर नफ़्स में शामिल तुम,
मेरी चाहतों के काबिल तुम,
मेरा हर लम्हा तुमसे जुड़ा,
उन लम्हों को कैसे खुद से जुदा कर दूं।
आंच आए न तुम पर,
इश्क भी न हो रुशवा,
सारे इल्जाम सर लेकर,
जहाँ की नजर में तुझको खुदा कर दूं।
कल किसने देखा क्या होगा,
चल आज का हर पल जी ले,
आ पास बैठ मेरे पहलू में,
तेरी कुछ यादें खुशनुमां कर दूं।
Swati chourasia
14-Sep-2021 07:44 AM
Very nice 👌
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Miss Lipsa
14-Sep-2021 07:41 AM
Wow
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